लेखनी प्रतियोगिता -30-Nov-2021
दैनिक काव्य-कविता प्रतियोगिता
भावों में घुमडने लगी जब भावनाएं
हर्फों में आलिप्त होने लगीं रचनाएं
रचनाओं में कभी प्रेमालिंगन को मचल उठीं भावनाएं
तो कभी कागज पे दर्द भरी बरखा बरसाने लगीं भावनाएं
कवित्त में डूब जब गज़ल-नज्म-बज्म का रुप ले बैठीं भावनाएं
पाठक मन-मयूर को भी हंसाने-रुलाने-बहलाने लगीं भावनाएं
एक भावना लेखक की एक भावना पाठक की मिलकर
आधार-ए-जमीं सींच गई असंख्य किताबों की
फिर वही किताब भावनाओं के समुद्र में गोते लगाने
आ पहुंचीं भावना-भरे, भावनाओं के बाजार में खरीद-फरोख्त के भावों में।।
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प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टी।
Niraj Pandey
01-Dec-2021 09:50 AM
बहुत खूब
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Zakirhusain Abbas Chougule
01-Dec-2021 12:10 AM
Nice
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Swati chourasia
30-Nov-2021 11:34 PM
Very beautiful 👌👌
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